कोरोनावायरस ने दुनिया में तबाही मचा कर रख दी है। चीन से निकला ये वायरस पूरी दुनिया की नाक में दम कर चुका है। दुनिया भर में इस वायरस के कारण लाखों लोग अपनी जान गँवा चुके हैं। भारत में भी इस जानलेवा वायरस के 2 लाख से अधिक मामले सामने आ चुके हैं। लम्बे समय से चल रहा लॉकडाउन भी कोरोना को रोकने में नाकाम साबित हुआ है। लेकिन एक बात यहाँ गौर करने वाली है। अन्य देशों के मुकाबले भारत में कोरोना से होने वाली मृत्यु दर बेहद कम है।
एक तरफ इटली में जहाँ 2 लाख केस पाए जानें पर लगभग 30,000 लोगों की जान चली गयी थी वहीं भारत में 2 लाख केस पाए जानें पर 5,800 लोगों की जान गयी है। अगर भारत की तुलना इटली से की जाए तो भारत में कोरोना मृत्यु दर बेहद कम है। इसका मुख्य कारण भारत के डॉक्टरों द्वारा विभिन्न प्रकार की दवाइयों से कोरोना का इलाज करना है। भारत के अंदर डॉक्टर कोरोना का इलाज करने के लिए हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन व इबोला (Ebola) का इलाज करने वाली रेमडेसिविर दवाई का प्रयोग कर रहे हैं।
इसके अलावा भारत के डॉक्टरों ने प्लाज्मा थेरेपी के द्वारा भी बहुत से मैरीज़ो का सफल इलाज किया है। यही कारण है की भारत के अंदर कोरोना के मरीज़ ठीक हो रहे हैं। भारत में लगभग 48% लोग कोरोना से पूरी तरह रिकवर हो चुके हैं। इस सफलता का सारा श्रेय भारत के होनहार डॉक्टरों को जाता है। भारतीय डॉक्टर अब एक अन्य दवा का प्रयोग भी कोरोना के इलाज में करने वाले हैं। इस दवा का नाम पेरामिविर है। इस दवाई का उपयोग स्वाइन फ्लू के इलाज में किया जाता है। आईसीएमआर (ICMR) से मंज़ूरी मिलने के बाद इस दवाई का प्रयोग भी शुरू किया जाएगा।
उम्मीद है अन्य दवाइयों की तरह इस दवाई का प्रयोग भी कोरोना के इलाज में सफल होगा। अगर सच में ऐसा होता है तो भारत में कोरोना का रिकवरी रेट और भी ज़्यादा बेहतर हो जाएगा। इस दवाई के प्रयोग को एफडीए (FDA) ने भी मान्यता दे रखी है। साल 2014 में इस दवाई को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त हुई थी। इस दवाई का निर्माण अमेरिकी कंपनी ‘बायोक्रिस्ट फार्मस्यूटिकल्स’ करती है। भारत में अब इस दवाई के उपयोग करने को मंज़ूरी मिलना बाकी है। मंज़ूरी मिलते ही इसका उपयोग शुरू किया जाएगा।