कोरोनावायरस महामारी से पूरी दुनिया परेशान है। इस महामारी से लड़ने के लिए दुनिया भर में लॉकडाउन लगाए गए हैं। भारत में भी 54 दिन का लॉकडाउन चल रहा है। मुस्लिमों का पाक महीना रमज़ान शुरू हो चुका है। लॉकडाउन के कारण मुस्लिम लोग अपने घरों में ही रमज़ान की इबादत कर रहे हैं। ऐसे में उत्तर प्रदेश के गाज़ीपुर इलाके में अज़ान को लेकर एक नया विवाद खड़ा हो गया है।
गाज़ीपुर के डीएम ने आदेश देकर इलाके की मस्जिदों में अज़ान होने पर रोक लगवा दी है। लॉकडाउन का हवाला देकर डीएम ने ये कदम उठाया है। गाज़ीपुर के बीएसपी सांसद अफ़ज़ाल अंसारी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को अज़ान रुकवाने के बारे में पत्र लिखा था। साथ ही उन्होंने इलाहाबाद हाई कोर्ट में पत्र लिख कर मुख्या न्यायाधीश से मामले में हस्तक्षेप करने की मांग की थी।
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अफ़ज़ाल अंसारी ने लिखा था कि रमज़ान का महीना चल रहा है ऐसे में अज़ान पर रोक लगाया जाना बिल्कुल ठीक नहीं है। रमज़ान में मुस्लमान अज़ान की आवाज़ सुनकर ही अपना रोज़ा खोलते हैं। ऐसे में अज़ान का महत्व बहुत ज़्यादा बढ़ जाता है। इलाहबाद हाई कोर्ट ने सांसद अफ़ज़ाल अंसारी के पत्र को याचिका के रूप में स्वीकार किया है। हाई कोर्ट ने कहा है कि 4 मई को इस मामले पर वीडियो कॉन्फ़्रेंसिंग द्वारा सुनवाई की जाएगी।
अफ़ज़ाल अंसारी ने अपने पत्र में डीएम की शिकायत करते हुए लिखा कि डीएम अपने अधिकारों का गलत इस्तेमाल कर रहे हैं। गाज़ीपुर के सभी मुस्लिम लॉकडाउन का पालन कर रहे हैं। सभी लोग रमज़ान की इबादत अपने घरों में कर रहे हैं। मस्जिदों में सिर्फ अज़ान होती है नमाज़ लोग अपने घरों में ही पढ़ते हैं। तो इन्हे अज़ान से दिक्कत क्यों हो रही है? डीएम द्वारा अज़ान पर रोक लगाया जाना सरासर गैर-कानूनी और अपने ओहदे का गलत इस्तेमाल है।