कोरोना वायरस को फैलने से रोकने के लिए पूरे देश में तीन मई तक लॉकडाउन है। लेकिन मोदी सर्कार के इस फैसले से दिहाड़ी मजदूरों की जिंदगी ठहर सी गई है। कई लोग तबाह हो गए हैं तो कइयों के सामने खाने और रहने का संकट गहराता जा रहा है। मध्य प्रदेश के अशोकनगर जिले में एक ऐसा किस्सा सामने आया है जो लॉकडाउन के दिनों में आम आदमी की पेट की तड़प और परिवार के बसर की चिंता को जाहिर करता है।
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अप्रैल महीने की भरी दोपहरी और तपती धूप के बीच परिवार के भूख मिटाने की चिंता ने दिव्यांग बुजुर्ग भगवत सिंह को 2 किलोमीटर पैदल चलने पर मजबूर कर दिया। बैसाखी के सहारे दिव्यांग बुजुर्ग भगवत सिंह किसी तरह पूर्व विधायक जजपाल सिंह के ऑफिस पहुंचे। बुजुर्ग भगवत सिंह को जानकारी मिली थी कि पूर्व विधायक जजपाल सिंह के दफ्तर पर राशन वितरित हो रहा है।
दिव्यांग बुजुर्ग भगवत सिंह ने पूर्व विधायक जजपाल सिंह के दफ्तर पर पहुंचने पर देखा की ऑफिस के बाहर काफी लंबी लाइन लगी है। साथ ही सोशल डिस्टेंसिंग की वजह से सड़क पर गोले बनाए गए हैं। जिससे कि लोगों के बीच की दूरी बनी रहे।
यह देखकर दिव्यांग बुजुर्ग भगवत सिंह भी एक गोले के अंदर खड़े हो गए। लेकिन जब अप्रैल महीने की धूप बहुत तेज हो गई और कृत्रिम (नकली) पैर पर खड़े रहना बुजुर्ग भगवत सिंह के लिए असहनीय हो गया तो उन्होंने अपना कृत्रिम (नकली) पैर निकालकर गोल घेरे में रख दिया। और खुद भगवत सिंह बैसाखी के सहारे छांव में जाकर बैठ गए।
पूर्व विधायक जजपाल सिंह की काफी देर के बाद इस दिव्यांग पर नजर पड़ी। उन्होंने बुजुर्ग को वहीं लाकर भोजन दिया, साथ ही तांगा बुलवाकर दिव्यांग बुजुर्ग भगवत सिंह को उनके घर भिजवाया। इतना ही नहीं पूर्व विधायक जजपाल सिंह ने आगे भी लॉकडाउन के दौरान दिव्यांग बुजुर्ग भगवत सिंह के पर राशन भेजने की बात कही है। –Source